(1) विद्यार्थी की उपलब्धि पर उचित प्रोत्साहन और प्रतिक्रिया देना।
(2) छात्र को किसी आदर्श को दिखाना जिसने समान कार्य में सफलता प्राप्त की हो।
(3) विद्यार्थी के समान कार्य में पूर्व में मिली सफलता पर प्रकाश डालकर उसे प्रवीणता की अनुभूति देना।
(4) विद्यार्थी की सफलता का श्रेय भाग्य को या स्कूल से सहायता को देना।